भूँज, भुर्जी, भोजवाल का सामाजिक योगदान (Bhunj,Bhurji, Bhojwal)

 अगर आपको किसी बाजार में मूंगफली का ठेला दिख जाए जिसमे एक लड़का या व्यक्ति मूंगफली या अन्य कोई दूसरा अन्न भून कर लोगो को बेच रहा है तो श्रीमान यही जाती है भूँज, भुर्जी, भोजवाल अलग - अलग प्रांतो में अलग - लग नामो से जाने जानी वाली एक ऐसी जाति की जिस पर अभी किसी सरकार की कृपा द्रिष्टि नहीं पड़ी है। सालो से यह जाति उपेक्षित होती रही है। समाज के हर वर्ग ने जब - जब मौका मिला है तब - तब इस जाती का शोषण किया है। यह समाज वर्षो से अन्न को भूनकर खाने योग्य बनाता है। गाँव के बगीचे में गिरी हुयी सुखी पत्तियों को समेटकर उसके गट्ठर को अपने सर पर उठाकर घर ले आता है। फिर अपने भाड़ की तैयारी कर अन्न को भुनने  में लग जाता है। हाड़ कपा देने वाली ठण्ड हो या माँस को पिघला देने वाली गर्मी चाहे मूसलाधार बरसात का मौसम हो यह समाज दो वक्त की रोटी के लिए निरंतर कड़ी मेहनत करता रहता है। यह समाज ब्राह्मण से लेकर दलित समाज के लोगो तक का प्रजा बना हुआ है लोगो के यहाँ शादी विवाह में इस समाज से धान को भूनकर उसका लावा लिया जाता है जो परछन के काम आता है बदले में लोग कुछ रूपये और एक साड़ी बख्शीश के रूप में दे देते है। और इस समाज के काम से लोगो को बेहतर स्वास्थ्य लाभ होता है। विभिन्न प्रकार के अनाज को भून कर खाना स्वास्थ के लिए बहुत ही लाभदायक है और बहुत सारी बीमारियों से बचा जा सकता है। बीमार पड़ने पर चिकित्सक भुना हुआ अनाज खाने का परामर्श देते है। सत्तू, चूड़ा, डाइट चिवड़ा ये सब खाद्य सामग्री इसी समाज की देन है, मकरसंक्रान्ति के अवसर पर इसी समाज के द्वारा तैयार लाई,चूड़ा,तिलकुट एवं भुने हुए अन्न से बने विभिन्न प्रकार की खाद्य वस्तुए लोग बहन बेटियों के ससुराल ले जाते है। अब लाइ, चूड़ा फैक्ट्रियों में बनने लगा जिससे इस समाज के लोगो के रोजगार का कमर टूट गया और इस दबे कुचले एवं अति पिछड़े समाज के लोगो की हालत दयनीय हो गयी।सरकार,नगर पालिका और महानगर पालिका के द्वारा इस समाज के लोगो का व्यवसाय जबरन बंद करा दिया गया तुर्रा ये की इनके भट्टी से निकलने वाले धुएँ से प्रदुषण होता है क्या फैक्ट्रियो, चिमनियों और वाहनों के द्वारा छोड़ा गया धुआँ पर्यावरण को पोषित करता है? सरकार और उसके विभाग ने काम को तो बंद करा दिया लेकिन नए रोजगार के साधन नहीं दिए और न ही कोई सहायता की जिससे इस समाज के लोग ने भाड़ भट्टी का सदियों पुराना अपना पुश्तैनी काम को छोड़कर रोजगार के नए अवसर तलाश रहे है.......                    

Comments

  1. Replies
    1. समाज का नवीन टाईटल- भोजवाल आपका हार्दिक अभिनन्दन करता है। ९४५०२०५४१३

      Delete
  2. Lavkush Kumar Gupta ( bhojwal) from pratapgarh

    ReplyDelete
    Replies
    1. विजय कुमार भोजवाल, बीके, छिबरामऊ, कन्नौज, यूपी।

      Delete
  3. आज पूरे भारत में भार झोंकने वाली जाति समुदायों में एक विशेष क्रांति आयी हुयी है। इस जाति का अभी तक कोई अपना टाईटल नहींं था, इस कारण से इसको पहचानने में विशेष समस्या उत्पन्न होती थी। अब इस जाति को एक नया टाईटल मिल गया है, जिसका नाम है भोजवाल। भोजवाल टाईटल ने फेसबुक पर बहुत अच्छी क्रांति की। धीरे धीरे इस जाति समुदाय के लोगों द्वारा इस टाईटल को सहृदयता से अपनाया जा रहा है। -विजय कुमार भोजवाल, बी.के.।

    ReplyDelete
    Replies
    1. Bharbhunja bhurji bhojwal ye caste kisme ati h general m y obc

      Delete
  4. भोजवाल समाज के उत्थान हेतु भारतवर्ष में कई समितियां एवं महासभाएं बनी हैं। जिसमें भोजवाल महासभा, भोजवाल समिति महासभा, सर्व समाज कल्याण ट्रस्ट, भुर्जी कल्यान समिति, भुर्जी महासभा आदि प्रमुख हैं।
    9450205413

    ReplyDelete
  5. भोजवाल समाज को जागरूक करने और उनका सरनेम भोजवाल लिखने के प्रति अपनी भुर्जी समाज को प्रेरित करने के लिए कुटुम्ब एप बनाया गया है।
    जिसमे समाज के सभी लोग जुड़े।

    और समाज के सम्मानित व्यक्तियों का हमेशा सम्मान करे।
    जिससे हमारा और आपका सामाजिक प्रेम और अच्छा बना रहे।
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  6. भोजवाल एकता जिंदाबाद गोरखपुर भोजवाल समिति पिपरौली ब्लाक अध्यक्ष गोरखनाथ भोजवाल

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

कालीन नगरी भदोही

सभी को प्रणाम नए शुरुआत के लिए